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Day 337 – “MACD Divergence: मार्केट रिवर्सल के छुपे संकेत”

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📚 Table of contents

|| 365-दिन स्टॉक मार्केट मास्टर प्लान ||
जहां कीमत और MACD अलग दिशा में चलते हैं, वहीं बदलती है बाज़ार की कहानी।”


1. MACD Divergence क्या है?

  • Divergence तब होती है जब प्राइस मूवमेंट और MACD इंडिकेटर मूवमेंट में अंतर हो।
  • यह संभावित ट्रेंड रिवर्सल (मोड़) का संकेत देता है।

2. दो तरह की Divergence:

  • Bullish Divergence:
    • प्राइस नए निचले स्तर पर जाता है, लेकिन MACD निचले स्तर पर नहीं आता।
    • इसका मतलब है कि बिकवाली कमजोर हो रही है, और तेजी आने वाली है।
  • Bearish Divergence:
    • प्राइस नए उच्च स्तर पर जाता है, लेकिन MACD नए उच्च स्तर पर नहीं पहुंचता।
    • इसका मतलब है कि खरीदारी कमजोर हो रही है, और गिरावट आ सकती है।

3. कैसे पहचानें Divergence?

  • प्राइस चार्ट में उच्च उच्च या निम्न निम्न बनाएं।
  • MACD चार्ट में देखें कि क्या ये उच्च या निम्न उसी दिशा में हैं या नहीं।
  • अगर प्राइस और MACD के ट्रेंड अलग हैं, तो यह Divergence है।

4. ट्रेडिंग में उपयोग:

  • Divergence के आधार पर एंट्री या एग्जिट प्लान करें।
  • हमेशा अन्य संकेतों जैसे सपोर्ट/रेजिस्टेंस और वॉल्यूम के साथ पुष्टि करें।

5. आज का प्रैक्टिकल टास्क:

  • अपने पसंदीदा स्टॉक या इंडेक्स का चार्ट खोलें।
  • MACD लगाएं और पिछले 1 महीने के प्राइस और MACD मूवमेंट को तुलना करें।
  • Bullish और Bearish Divergence की खोज करें।
  • उस दिन के बाद मार्केट की दिशा नोट करें।

6. ट्रेडिंग टिप:

  • Divergence अकेले ट्रेड सिग्नल नहीं देता, इसे ट्रेंड और अन्य इंडिकेटर्स के साथ जोड़कर देखें।

7. आज का मंत्र:

ट्रेंड से अलग सोचो, सही समय पहचानो।”


 

Disclaimer:

सभी जानकारी केवल शैक्षणिक उद्देश्य (Educational Purpose) के लिए प्रदान की गई है। यह कोई निवेश सलाह (Investment Advice) नहीं है।

पाठकों से निवेदन है कि वे किसी भी निवेश निर्णय से पहले अपने वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) से परामर्श अवश्य लें।

यह ब्लॉग SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है और किसी भी लाभ या हानि के लिए लेखक या वेबसाइट उत्तरदायी नहीं होगी।

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