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Day 350 – “Market Profile में Point of Control (POC) का महत्व”

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📚 Table of contents

|| 365-दिन स्टॉक मार्केट मास्टर प्लान ||
सबसे ज़्यादा व्यापार जहाँ होता है, वही बनता है असली नियंत्रण केंद्र।”


1. POC क्या है?

  • Point of Control (POC) वह प्राइस लेवल होता है जहाँ दिन भर में सबसे ज़्यादा वॉल्यूम ट्रेड हुआ हो।
  • इसे Market Profile में “Volume Peak” भी कहते हैं।
  • POC बताता है कि बाजार ने सबसे अधिक समय और मात्रा उसी प्राइस पर खर्च की।

2. POC का महत्व:

  • यह मार्केट का “संतुलन बिंदु” होता है।
  • POC सपोर्ट या रेसिस्टेंस का काम कर सकता है।
  • प्राइस POC से ऊपर या नीचे जाने पर ट्रेंड का इशारा मिलता है।

3. POC के साथ ट्रेडिंग:

  • यदि प्राइस POC के ऊपर बनी रहे तो बुलिश सिग्नल।
  • यदि प्राइस POC के नीचे गिरता है तो बियरिश सिग्नल।
  • POC के पास प्राइस की रिवर्सल का मौका अधिक होता है।

4. आज का टास्क:

  • किसी स्टॉक या इंडेक्स का Market Profile बनाएं और POC की पहचान करें।
  • देखें कि प्राइस ने POC के साथ कैसे व्यवहार किया।
  • POC के आधार पर आज के लिए एक ट्रेडिंग प्लान बनाएं।
  • अपने ट्रेडिंग नोट्स में POC के प्रयोग से सीख जोड़ें।

5. माइंडसेट टिप:

  • POC को समझकर ही आप मार्केट का “नज़रिया” पा सकते हैं।
  • हमेशा याद रखें, जो प्राइस सबसे ज़्यादा स्वीकार्य होता है, वही बाजार का असली “पावर पॉइंट” होता है।

6. आज का मंत्र:

जहाँ भी सबसे ज़्यादा लोग रुके, वहीं से बाजार की दिशा तय होती है।”


 

Disclaimer:

सभी जानकारी केवल शैक्षणिक उद्देश्य (Educational Purpose) के लिए प्रदान की गई है। यह कोई निवेश सलाह (Investment Advice) नहीं है।

पाठकों से निवेदन है कि वे किसी भी निवेश निर्णय से पहले अपने वित्तीय सलाहकार (Financial Advisor) से परामर्श अवश्य लें।

यह ब्लॉग SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) के दिशा-निर्देशों के अनुरूप है और किसी भी लाभ या हानि के लिए लेखक या वेबसाइट उत्तरदायी नहीं होगी।

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